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Showing posts from October, 2011

दीपावली सबके साथ

आज हर ओर लोग छुटृटियों का लुत्फ ले रहे है मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका ऑफिस आज भी खुला मैं उनको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं । इतना ही नहीं ऐसे सभी साथियों से निवेदन है कम मौज लेते हुए आज काम करें उदास न हों सच में बहुत सुकून मिलेगा। मीडिया में काम करने कारण आज मेरी भी छुटृटी नहीं है मगर मुझे इसका मलाल भी नहीं है मेरे ही जैसे लोग वो भी है जो मॉल, कॉल सेंटर और रेलवे में काम करते हैं उनको भी छुटृटी नहीं है सो हम सबको खुश होना चाहिए की हम अपने कीमती समय में से जनता को समय देते हैं उनके लिए कुछ करते है सही मायने में हम लोग सच्चे पब्लिक सर्वेंट है। जो खुद तो हंसते मगर दूसरों को हंसाकर । इसी के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं । दीपा श्रीवास्तव

रोशन है बचपन की दीपावली

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दो दिन बाद दीपावली है हर ओर तैयारी चल है कुछ लोगों के यहां तैयारी हो भी चुकी है। इस दौरान बच्चों में तो पटाकों और झालरों का क्रेज  रहता ही है साथ ही बड़ों में भी छुटृटी का मजा लेने का इंतजार होता है। आज जूडो का पहला टूर्नामेंट था सिल्वर मेडल जीत कर मैंने तो अपनी दिवाली जगा ली। आगे देखिए क्या होता है। बच्चों का लंबा चौडा हूजूम डालीबाग साइड पटाखों की खरीददारी के लिए जा रहा था साथ ही कुछ बच्चे अपने परिवार के साथ ढे़रों पटाखें लेकर वापस भी आ रहे थे। बच्चों का चहकता चेहरा देखकर अपना बचपन याद आ गया जब हम भी इन्हीं के जैसे हुआ करते थे और धमाके वाले पटाखें छोड़ना मेरा पैशन हुआ करता था। टीवी देखने का बहुत शौक था इसलिए रात में 12 बजे के बाद पटाखे नहीं जलाती थी क्योंकि टीवी पर देर रात तक पटाखा न जलाने के लिए विज्ञापन आता था। लेकिन इतनी रात तक तमाशा करने के बाद भी दूसरी रात का इंतजार हुआ करता था। कहते हैं न गुजरा हुआ जमाना वापस नहीं आता सो बचपन कहां से आ सकता है। आज पटाखे की खरीददारी करते वक्त भाई ने हजारों रूपए लगा दिए मैंने भी मना नहीं किया क्योंकि ये वो समय जो वापस नहीं आएगा। मगर वो छांट-...

आपका साथ अनमोल है

घर जाने की खुशी उस समय और ज्यादा महसूस होती है जब आप परिवार से दूर रह रहे हों। इन अनुभव की मैं खुद गवाह हूं जिंदगी का एक पूरा साल अपने भाई बहनों से दूर रहने का कटु अनुभव है। तो उनका दर्द बखूबी समझ में आता है जो इस दीपावली अपने परिवार के साथ नहीं रहेंगे। खैर अभी भी मम्मी पापा से कोसों दूर हूं और हर दीपावली उनके बिना ही मनानी पड़ती है मगर ज्यादा तकलीफ नहीं होती है क्योंकि उस दिन मेरा छोटा भाई या बहन मेरे साथ होते हैं। आज एक ऐसे आदमी को देखा जो परिवार की जीविका चलाने के लिए परिवार से दूर है और इस त्यौहार में घर जाने के लिए काफी खुश भी थे मगर जब अपने मालिक से छुटृटी मांगने गये तो उन्होंने इनकार कर दिया। परिवार में बूढ़ी मां, छोटा सा बेटा और बीवी इन सबको इस व्यक्ति के घर आने का जितना इंतजार है उससे कहीं ज्यादा इनको अपने परिवार के साथ ये खुशियों भरा पल बीताने का। मगर कहते हैं न , नौकरी है ही ऐसी चीज जो कभी न कभी परिवार से दूर करती जरूर है। बहरहाल घर जाने के लिए यह व्यक्ति अपने वीक ऑफ में भी काम करता है ताकि दो सप्ताह बाद दो दिन के परिवार के साथ रह सकें । मैं भी दैनिक भास्कर में यही किया कर...

सीएम का वेलकम

            एक इंसान के आने पर इतनी सुरक्षा व्यवस्था कि लग रहा था मानों उनको किसी की नजर लग जाएगी। यहां ये कहना गलत नहीं होगा कि सीएम की सुरक्षा को लेकर प्रशासन मुस्तैद था इसलिए शायद हर चार कदम पर पुलिस तैनात थी। खैर शुक्रवार को शहर में सीएम पुलिस लाइन में आ रही उस दौरान पुलिस प्रशासन पूरी तरह सक्रिय था। मालूम पड़ रहा था सड़क पर इंसान दिखा तो पुलिस वालों की नौकरी चली जाएगी। मीडिया को सीएम के आने की खबर थी मगर आम आदमी इससे अंभिज्ञ था तभी सुबह के 8.30 बजे हर कोई अपने रूटीन वर्क के लिए बाहर निकल पड़ा था। कोई हनुमान सेतु मंदिर जाना चाह रहा था तो किसी को नौकरी बचाने के लिए अल सुबह ऑफिस पहुंचना था। मगर इन सब के बीच यूपी की मुखिया का आना किसी बारात से कम नहीं था। हर कोई बारात के स्वागत में मशरूफ नजर आया। अजीब तो ये लग रहा था कि लोगों को सड़क से हटाया तो जा रहा था मगर उनको छुपाया भी जा रहा था ताकि वो सीएम की गाड़ी न देख सकें। ऐसा क्यूंह ै इस बारे में जब एक पुलिस सुरक्षा बल से पूछा तो जवाब मिला ताकि किसी को शक न हो कि ये यहां क्यों खड़ा है अगर किसी अधिािरी ने ए...

तलाक सिर्फ रिश्तों का या वाजूद का

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अजीब लगता है कि जो रिश्ता की डोर अंजाने में ही टूट जाए। आज का अखबार पढा तो महसूस हुआ कि हमारा समाज कितना भी आगे निकल जाए मगर औरतों पर जुल्म होना शायद खत्म नहीं हो सकता है। इसलिए तो सहारनपुर का एक मामला सामने आया कि पत्नी को पता भी नहीं चला और पति ने उसे तलाक दे दिया हलांकि ऐसी खबरे हम अक्सर पढ़ते हैं मगर इसको अगर जागरूकता से जोड़े तो नतीजा सिफर ही है। वाक्या कुछ ऐसा रहा कि शौहर ने कागज पर तीन बार तलाक लिख दिया और जब इस बारे में दारूल उलूम से पूछा गया तो उन्होंने फरमाया कि तलाक देना शौहर का हक है, बीवी जाने या जाने इससे कोई ताल्लुक नहीं है तलाक लिखने मतलब तलाक हो गया। सबसे अजीब बात तो ये लगी जो कि दारूल इफता के सीनियर उस्ताद आरिफ ने कही कि तलाक का अख्तिायर शौहर को है उसने जैसे अपने हक का इस्तेमाल किया तलाक हो गया। अजीब लगता है कि सिर्फ शौहर को ही ऐसे अधिकार क्यूंह ै क्या बीवी अपने शौहर को तलाक नहीं दे सकती है। इस्लाम की काफी बातें मुझे अच्छी लगती हैं और कुरान शरीफ में लिखी लाइनों पर मैं अमल भी फर्माती हूं लेकिन ये बात नागवार गुजर रही है। आखिर इस धर्म में औरत के साथ ऐसी बेरूखी क्यूं है...

फास्ट नहीं फैशन

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 गंगा मैया में जब तक की पानी रहे, मेरे सजना तेरी जिंदगानी रहे ये गाना हर किसी को याद होगा। इसके अलावा हाथों में पूजा की थाली आयी रात सुहागों वाली , ये वो गाने है जो आज के दिन हर किसी की जुबान पर आ रहे होंगे। चाहे वो करवा चौथ का वर्त करता हो या नहीं। दिन ही कुछ ऐसा है कि ये तराने आना लाजमी है। आज पत्नियों के साथ कुछ पति भी ऐसे हैं जो अपनी पत्नी की भी लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर दुआ कर रहे होंगे। मगर अब ये सब भी फैशन हिस्सा होता जा रहा है। नयी जनरेशन इसे खराब कर रही । क्योंकि उन्हें किसी के व्रत और कंप्रोमाइज की कद्र नहीं हैं। तभी ऐसे व्रत सिर्फ कुछ साल ही चलते हैं। मगर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं दुनिया में जो अपने प्यार रिश्ते को जिंदगी भर निभाते हैं भले ही वो उस लायक हो या न हो। तभी तो सेंटरल जेल में रहने के बावजूद पत्नी ने अपनी पति के लिए करवा चौथ का व्रत किया। आरोप कोई भी मगर पति ने उसकी परवाह नहीं की और अपना धर्म निभाने में कोई कसर नहीं छोडी वो भी पत्नी से मिलने जेल आया। फिर दोनों ने साथ में व्रत तोडा। करवा चौथ पर लोगों की खुशी और तैयार देखकर ये भी महसूस होता है कि अब ये व्रत ...

डांस विद चांस

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हर तरफ ढोलक की थाप और तेज आवाज में गूंजते गुजराती गीत, ये नजारा था आनंदी वाटर पार्क का, जहां पर रेडियो मिर्ची ने गरबा झाला द डांडिया नाइट प्रोग्राम आर्गनाइज करा रखा था। रेडियो सुनने की आदत है ऐसे में सुबह ब्रेकफास्ट के टाइम आरजे अरजित एनाउंस कर रहा था कि फिल्मी धुन पर माता के गीत सुनाइए अगर आपकी आवाज में दम हुआ तो आनंदी वाटर पार्क का जीतेगें। इतना सुनते ही दिमाग में आया कि आइ लव सिगिंग सो बिना टाइम वेस्ट किए मैने कॉल कर ली। लकी थी और एक बार में ही रेडियो जॉकी अरजीत ने कॉल पिक की उधर से आवाज आई, रेडियो मिर्ची मैंने भी अरजीत को विश किया और कहा आइ टू वॉट विन आ पास फार गरबा नाइट, ही रिप्लाइड स्योर बट फस्ट यू हैव तो सिंग आ सांग फार मिर्ची । मैनें ओके बोला एंड ही सेड लेट्स स्टार्ट दीपा । पहली बार ऑन एयर थी आइ वाज सो एक्साइटेड एंड संग वेल। ही ऐप्रीसियेटेड मी एंड आइ गॉट फाइव एंट्री पास  जबकि सबको सिर्फ चार मिल रहे थे। इसके अलावा जिस दिन गरबा नाइट उस दिन फिर से अरजीत की कॉल आई कि दीपा यू वन द एंट्री पासेस सो प्लीज ज्वाइन अस एट मिर्ची ऑफिस टूडे इवनिंग एट फाइव ओ क्लॉक बट यू हैव टू वियर लहंग...

आइ एम इन लव

आइ लव,आइ लव, आइ एम इन लव।   इन दिनों ऐसा लगता है मुझे सच में प्यार हुआ है। इतना ही नहीं लगता है ये मुझे बार बार हो रहा है। जमाने से हमेशा सुना है कि प्यार जिंदगी में सिर्फ एक बार होता है मगर मुझे लगता है मुझे रोज हो रहा और बार-बार होता है। जी हां मुझे प्यार है म्यूजिक से जितना सुनती हूं उतना होता जा रहा है। जब भी बहुत खुशी होती हूं तो म्यूजिक सुनने का दिल करता है और जब दिल उदास होता है तब भी म्यूजिक का ही ख्याल आता है। कितने भी दोस्त हों कोई कितना भी खास हो मगर संगीत से ज्यादा अजीज कोई नहीं होता जो हमारी भावनाओं को समझ सके, शायद किसी ने सच कहा है दर्द में दोस्त और खुशी में महफिल का काम सिर्फ म्यूजिक ही करता है। तभी तो किचन में खाना बनाने से लेकर ऑफिस जाते समय तक कानों में इयर फोन लगाकर म्यूजिक सुनने में जो आनंद आता है, सच पूछो तो ऐसी खुशी किसी काम से नहीं होती। इतना ही नहीं जब गाना सुनते-सुनते साथ पैर भी थिरकने लगे और आप भी गुन गुनाने लगें तो सोने पर सुहागे जैसी बात होती है। संगीत से मुझे हमेशा से प्यार था मगर पिछले कुछ साल से मौका नहीं मिल रहा था कि मैं इसे सुन सकूं मगर अब तो भरप...