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Showing posts from February, 2013

want be part ARMY

ऐसा तभी क्यूं होता है कि हमारी पुलिस हमारा प्रशासन तब जागता है जब कुछ  अनहोनी हो जाती है। हाल ही में हुए हैदराबाद और कुंभ हादसे के बाद प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। हर जगह चेकिंग और  अलर्ट जारी हो रहा है क्या ये सब पहले नहीं हो सकता था। इतनी सक्रियता लगातार नहीं बरती जा सकती। कल मैं ऑफिस के वर्क से कैंट गयी सल बहादुर बिहार जहां की एक मूक बधिर बच्ची ने कोरिया विंटर ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है। गेट पर जाते है इंट्री आई कार्ड सबकुछ सक्योरिटी रीजन से चेक कराना पड़ा। ऐसा करके न मुझे बुरा लगा न मेरे सहयोगी फोटो ग्राफर को। इसके पहले भी करीब दो साल पहले मैं कैंट गयी थी तब भी सुरक्षा इतनी ही मुस्तैद थी तब भी मुझे आई कार्ड, डीएल दिखाना पड़ा मुझे बिल्कुल नहीं बख्शा गया कि मैं लड़की हूं, ये बहुत बात तब भी अच्छी लगी थी आज भी अब भी अच्छी लगती है। हर बार वहां जाकर दिल करता है मैं भी इन्हीं लोगों आर्मी का हिस्सा बन जाऊं, मगर जब मैं मॉल में जाती हूं अकेले कैमरा लेकर यहां तक की मेरे पर्स में भी कभी-कभी चाकू और ब्लेड होता है मगर कभी इतनी संघन जांच नहीं होती। आज तक मैंने ये कभी नहीं सुना की कैंट में हमला

हमारा वैलेंटाइन

वैलेंटाइन डे को लेकर हर एक लड़के लड़की में उत्साह होना स्वाभाविक है। सो थोड़ा सा मुझमें भी रहता है, हां ये अलग बात है कि सिर्फ मनाने का क्रेज है मगर वो किसी वैलेंटाइन के साथ नहीं, अपनी खुशी और अपनी आजादी के साथ। सो इस वैलेंटाइन डे को मैंने अपनी दोस्त पूजा के साथ अनाथ आश्रम का रुख कर लिया ताकि खुशी के पल उन लोगों से साथ बिताया जाए जो ये नहीं जानते कि परिवार का प्यार क्या होता है। एक लंबी ड्राइविंग के बाद हम दोनों पहुंचे मोतीनगर जहां गल्र्स अनाथअश्राम में जाकर बच्चों के साथ खूब मस्ती की और उनसे ढ़ेरों बातें भी की। इसे आप ये जरूर कह सकते हैं कि हम दोनों के दोस्त तो बहुत हैं मगर प्यार और वैलेंटाइन का शौक है न जरूरत, क्योंकि हम दोनों अपने काम और आजादी में बहुत खुश रहते हैं। खैर वहां दो ऐसी लड़कियां भी मिली जिनसे मिलकर दिल यही किया कि उनको अपने साथ रखें, सच इतने सीमित साधन में जमकर पढ़ाई फिर हाईस्कूल यूपी बोर्ड 83 परसेंट लाना अपने आप में काबिल-ए-तारीफ है। तो ऐसा रहा हमारा वैलेंटाइन जिसमें मेरे कुछ खास दोस्तों ने चॉकलेट भी दी टेडी भी दिया फिर क्या जरूरत है वैलेंटाइन बनाकर सिर दर्द लेने की।

दिल मांगे मोर

जिंदगी के भाग दौड़ में हर पल यूं गुजर रहा है जैसे कि मैं एक सफर में हूं, हर रोज एक नये शख्स से रुबरू होती हूं और रोज नयी मंजिल की तलाश शुरू हो जाती है। बस ऐसा ही कुछ जिंदगी का और मेरा वास्ता है। नए दोस्त, नए सपने, नया माहौल सब कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा है। बस कुछ नहीं बदल रहा है तो वो है मेरा जुनून और मेरी आकांक्षाएं तो नित निरंतर बढ़ती जा रही हंै और बार-बार यही कहती हैं ये दिल मांगे मोर