तलाक सिर्फ रिश्तों का या वाजूद का


अजीब लगता है कि जो रिश्ता की डोर अंजाने में ही टूट जाए। आज का अखबार पढा तो महसूस हुआ कि हमारा समाज कितना भी आगे निकल जाए मगर औरतों पर जुल्म होना शायद खत्म नहीं हो सकता है। इसलिए तो सहारनपुर का एक मामला सामने आया कि पत्नी को पता भी नहीं चला और पति ने उसे तलाक दे दिया हलांकि ऐसी खबरे हम अक्सर पढ़ते हैं मगर इसको अगर जागरूकता से जोड़े तो नतीजा सिफर ही है। वाक्या कुछ ऐसा रहा कि शौहर ने कागज पर तीन बार तलाक लिख दिया और जब इस बारे में दारूल उलूम से पूछा गया तो उन्होंने फरमाया कि तलाक देना शौहर का हक है, बीवी जाने या जाने इससे कोई ताल्लुक नहीं है तलाक लिखने मतलब तलाक हो गया।
सबसे अजीब बात तो ये लगी जो कि दारूल इफता के सीनियर उस्ताद आरिफ ने कही कि तलाक का अख्तिायर शौहर को है उसने जैसे अपने हक का इस्तेमाल किया तलाक हो गया। अजीब लगता है कि सिर्फ शौहर को ही ऐसे अधिकार क्यूंह ै क्या बीवी अपने शौहर को तलाक नहीं दे सकती है। इस्लाम की काफी बातें मुझे अच्छी लगती हैं और कुरान शरीफ में लिखी लाइनों पर मैं अमल भी फर्माती हूं लेकिन ये बात नागवार गुजर रही है। आखिर इस धर्म में औरत के साथ ऐसी बेरूखी क्यूं है। इससे तो औरतों के वाजूद का उनकी रूह से तलाक हो जाएगा। हर ओर महिला वर्ग के साथ ऐसा ही कुछ होता रहता है वैसे तो लोग आवाज उठाते हैं मगर जब मामला अपनों का हो तो, मगर जब किसी तीसरे से जुड़ी बात हो तो मौन रहा ही शायद समझदारी मानते हैं। चंदौली में भी ऐसा ही कुछ हुआ अजीब लगा कि जूनियर हाई स्कूल में आधा दर्ज बदमाश घुस आए और एक लड़की को सबके सामने घसीटते हुए बाहर ले गए। इतना ही नहीं पूरे स्कूल के लोग खड़े होकर तमाशा देखते रहे मगर कोई उसे बचाने के लिए आगे नहीं आया। मामला क्या था इसका खुलासा तो नहीं हो सका मगर क्या किसी की इज्जत से बढ़कर कोई दुश्मनी हो सकती है, बहरहाल लड़की के साथ युवकों ने रेप करने की भी कोशिश मगर उसके गिड़गिड़ाने पर उसे छोड़ तो दिया मगर पूरे स्कूल के सामने उससे अभद्रता की। स्कूल प्रशासन की माने तो बदमाशों के पास तमंचे थे इसलिए किसी की आगे जाने की हिम्मत नहीं हुई। अजीब लगता है कि क्या भारत के विकास में रेप, तलाक और औरत के शोषण का विकास जरूरी है। एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जिसमें ऐसी खबरों से अखबार और चैनल पटे न रहें। हमस ब अपने घरों देखते हैं पढ़ते हैं मगर अमल नहीं करते हैं। शायद इसलिए भारत का शिक्षास्तर तो बढ़ रहा साथ ही अपराधों का ग्राफ भी बढ़ रहा है।
दीपा श्रीवास्तव

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