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Showing posts from May, 2016

वो मेरी माँ

एक आँचल जो आज तक छाँव  दे रही है।  मेरी ख़ुशियों को सच्चा नाम दे रही है। ।  हर दर्द में रहती है मेरे साथ साये की तरह।  जिसका एहसास मुझे रुह तक आराम दे रही है। ।  हल्की सी ठोकर में हर ज़ुबां आ जाती है वो।  एक आंसू कतरा भी नहीं देख सकती जो मेरी आँखों में।  वो मेरी माँ , मम्मी ,मम्मा ,अम्मा ही तो है वो। । 

समझ नही आता माँ तुझे क्या लिखूं

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दुआ लिखूं या ख़ुदा लिखूं , इस दुनिया में आने के पहले तूही अपनी थी यहां आने के बाद भी सिर्फ तूही अपनी है, मै किसी को बेटे से कम दि खी तो किसी को दहेज़ का अभिशाप तू ही तो है जिसे मैं सिर्फ एक नन्ही परी दिखी, रिश्तेनातों और करीबियों को भी बोझ लगी मगर तुझे तेरी औलाद सदा अनमोल लगी, याद है मेरी गलतियों पर तेरा नाराज़ होना फिर भी पापा के गुस्से से मुझे हमेशा बचा लेना, जब बांस की बेंत मुझे पीटने को आतुर होते तेरी पीठ मुझे हमेशा बचाने को हाज़िर रहते, समझ नही आता तुझे क्या लिखूं तूने सिखाया सहशक्ति और ज़िद्दी भी बनाया अपने हक़ के लिए लड़ना भी सिखाया, मगर माँ तेरी कुर्बानियों के लिए कभी तुझे लड़ता नही पाया??? सवाल भी है और उधेड़बुन भी है क्यों तेरी मर्ज़ी के बगैर भी तुझे हर वक़्त पापा के साथ खड़ा पाया, माँ तू वही जिसने मुझे भी सहना सिखाया और बेटी, बहन और पत्नी बनना सिखाया, तेरी बेटी हूँ तो बर्दाश्त तो करुँगी मगर माँ अपना हक़ अपनी मन मर्ज़ी के लिए ज़रूर लड़ूंगी, समझ नही आता तुझे क्या लिखूं एक दिन क्या एक जनम भी काम है तेरे बखान करने को, एक बार फिर तैयार होगी सिर्फ तेरी बेटी तेरी ख़ुशी के लिए खुद को कुर्बान

माँ क्यों तुम ही बस ऐसी हो?

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माँ तुम क्यों ऐसी हो। जीवन में सच्चे सपने के जैसी हो।। आँखों के आंसू सूख गए हों भलेे। तुम फिर भी उनको पहचानती हो।। चुप रहकर भी तुमसे कुछ छुपा नही। हर अनकही बात भी जानती हो।। न होश सुबह का न ख़बर शाम की । तुम सदा समय सी चलती हो।। घड़ी की टक टक रूकती है। पर न तुम थकती न रूकती हो।। माँ क्यों तुम ही बस ऐसी हो? चेहरे पर सिकन जो हो मेरे। माँ तुम मुस्कान बन जाती हो।। चोट हो कितनी भी गहरी। तुम मरहम बनकर आती हो।। अब बीत गया बचपन मेरा। ऐसा लोगोँ का कहना है।। माँ आज भी जी करता है। बस तेरी ही गोदी में रहना है।।

mango शेक

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सामग्री : आम बिना रेशे वाला : 2   ताज़ा दूध :              2  कप चीनी  :     स्वादानुसार। आईस क्यूब्स : 6 -8 पीस चेरी :1 पीस काजू : 3 - 4 पीस नारियल बुरादा : 1 स्पून आईस क्रीम : 1 स्पून विधि : सबसे पहले आम को छील कर पीस बना लें और मिक्सर में डाल दें ,उसके बाद ताज़ा दूध डालें ,चीनी भी डाल दें,साथ ही आईस क्यूब्स डाल कर  ब्लेंड करें अच्छी तरह से जब जूस बन जाये तो गिलास में निकाल कर रखें ऊपर से चेरी पीस ,नारियल , काजू ,आम  के कुछ पलते पीस ,चेरी ड्राई पीस डालकर ,ऊपर से आईस क्रीम से डेकोरेट कर लोगों को सर्व करें

जीत कर हार गए पापा

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रात के क़रीब एक बजे पूरे मोहल्ले में सन्नाटा अचानक प्रतिभा के पिता की तबियत बिगड़ जाती है। भाई और माँ के साथ आननफानन वो अस्पताल भागती है। डॉक्टर ने जब प्रतिभा के पिता को देखा तो कुछ जाँचे लिखी और रिपोर्ट देखने के बाद घर भेज दिया। दूसरे दिन सब ठीक था मगर अचानक एक दिन बाद सन्डे को हमेशा बोलने वाले प्रतिभा के पापा की आवाज़ बंद हो गयी। अपने पापा इस हालत में देखकर उसे जितना दुःख था।उतना ही वो पुराने वक़्त में खोती जा रही थी। उसकी पढाई और सपने को पंख पापा ने ही दिया था। आज दुनिया में अकेले चलने वाली प्रतिभा को अकेले और निडर होकर चलना उसके पापा ने सिखाया था। आज भी याद है गाँव में रहने वाली प्रतिभा महज़ तीन साल की होगी जब उसके पापा ने पहली बार उसे अकेले जीप में बिठा कर घर रवाना किया था। और खुद पीछे अकेले मोटरसाइकिल से आ रहे थे।ऐसा नही था की वो अपनी बेटी को साथ नही ले जाना चाहते थे। उनका मकसद सिर्फ ये था की उनकी बेटी किसी पर निभर्र न रहे।आज 30 की हो चुकी प्रतिभा के बचपन में बेटी को ये सीख देना उसके पिता के लिए भी आसान नही था . वो उसे वो सब सीखाना चाहते थे जो लोग अपने बेटे को सीखाते हैं।