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Showing posts from May, 2015

पीकू कहानी नहीं हक़ीक़त

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पीकू में मोशन को इमोशन से वाकई में बेहतरीन तरीके से जोड़ा गया है. बाप बेटी की कहानी दकियानूसी सोच पर तमाचा जैसी है. यक़ीनन कई लोगो को बाप बेटी के इस रिश्ते से दिक्कत हुई होगी. दीपिका और बच्चन साहब की एक्टिंग लाजबाव है.पूरी फिल्म में महिलाओं और आज के बच्चों के लिए बहुत कुछ सिखने लायक है. पिता जिसे पता है की उसकी बेटी की उम्र बढ़ रही है मगर को नहीं चाहता की बेटी शादी करे. आधुनिक समाज और बंगोली होने के नाते उसकी सोच में छोटापन नही है. बेटी का शादी के पहले किसी से फ़िज़कल रिलेशन है मगर इसका पिता को कोई अफ़सोस नही है. बाप बेटी में घमासान लड़ाई होती है और बोलचाल भी बंद होती है, मगर प्यार काम नही होता. ज़िद्दी पिता के किसी बात का पीकू दिल से नही लगाती. पीकू जितनी सुंदर दिखती उतनी ही स्मार्ट भी इमरान खान की हर बात का मतलब उसे बराबर पता रहता है. मौसमी चटर्जी यानि मौसी तीन शादियां करती है और इसका कोई गिला नही है. न ही हाय हाय की ऐसा करना पड़ा. पीकू की चाची को ऐसा दिखाया गया है की वो मौसमी चटर्जी से जलती है क्युकी उसकी शादी उसके पति से होने वाली थी. वो एक ऐसा कैरेक्टर है जिसे इस बात की फ़िक्र होती है की
समझ नही आता माँ तुझे क्या लिखूं दुआ लिखूं या ख़ुदा लिखूं , इस दुनिया में आने के पहले तूही अपनी थी यहां आने के बाद भी सिर्फ तूही अपनी है, मै किसी को बेटे से कम दिखी तो किसी को दहेज़ का अभिशाप तू ही तो है जिसे मैं सिर्फ एक नन्ही परी दिखी, रिश्तेनातों और करीबियों को भी बोझ लगी मगर तुझे तेरी औलाद सदा अनमोल लगी, याद है मेरी गलतियों पर तेरा नाराज़ होना फिर भी पापा के गुस्से से मुझे हमेशा बचा लेना, जब बांस की बेंत मुझे पीटने को आतुर होते तेरी पीठ मुझे हमेशा बचाने को हाज़िर रहते, समझ नही आता तुझे क्या लिखूं तूने सिखाया सहशक्ति और ज़िद्दी भी बनाया अपने हक़ के लिए लड़ना भी सिखाया, मगर माँ तेरी कुर्बानियों के लिए कभी तुझे लड़ता नही पाया??? सवाल भी है और उधेड़बुन भी है क्यों तेरी मर्ज़ी के बगैर भी तुझे हर वक़्त पापा के साथ खड़ा पाया, माँ तू वही जिसने मुझे भी सहना सिखाया और बेटी, बहन और पत्नी बनना सिखाया, तेरी बेटी हूँ तो बर्दाश्त तो करुँगी मगर माँ अपना हक़ अपनी मन मर्ज़ी के लिए ज़रूर लड़ूंगी, समझ नही आता तुझे क्या लिखूं एक दिन क्या एक जनम भी काम है तेरे बखान करने को, एक बार फिर तैयार होगी सिर्फ तेरी बेटी तेरी ख़

जेल या बेल

सलमान को जेल हुई और बेल भी मिल गयी. मै क़ानून को बहुत नही समझती न सेलेब्रटी की निजी ज़िंदगी से मेरा कोई सरोकार है. सलमान ने पहले ब्लैक बग केस में अपनी कलाकारी दिखाई. इतने सेलेब हैं भारत में मगर इतना विवाद इनको क्यों घेरता है या यूँ कहें ये खुद घिरे रहते हैं. कभी सेट पर मर पीट तो कभी ऐश्वर्या के लिए बवाल. सलमान को हर कोई दुहाई देता है उनके एनजीओ के बारे में, शायद किसी ने इस ओर ध्यान नही दिया, शायद क्या , वाकई नही दिया, ये संस्था इस हादसे के पहले क्यों नही शुरू की गयी . क्यूंकि  एक साथ इतने बुरे काम को दबाने के लिए कुछ तो लोगों को अच्छा दिखाना होगा. अब बात करते है भाई के फैन की, हाई कोर्ट का फैसला आता इसके पहले एक लड़का सुसाइड करता है क्या फैसले के बाद सलमान उससे मिलने गए? नहीं वाकई वो इतने अच्छे हैं तो उनको उससे मिलना था उसके परिवार को मदद करनी थी. अभिजीत ने भी सुरीले अंदाज़ में फुटपाथ पर सोने वालों को कुत्ता बना दिया हालांकि उन्होंने माफ़ी मांगी. यहां सोचने की बात ये है की मुंबई इन्ही कुत्तों की वजह से ही चलती है. जिसमे अधिकतर यू पी और बिहार के वो गरीब मज़दूर हैं. जो इन जैसे रईसों के फ्ल

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