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Showing posts from February, 2016

बच्चे के बाद नींद को न करें इग्नोर

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नींद हमारे लिए कितनी जरूरी है ये हमस ब जानते हैं। अक्सर देखा गया है कि बच्चे के बाद मांएं पूरी नींद नहीं सो पाती हैं। सोना कितना जरूर है इसके क्या मायने इस बारे में आज जानते हैं। असल में दो तरह की नींद होती है। एक होती है आरइएम यानी रेपिड आई मूवमेंट जिसमें आप सपने देखते हैं और दूसरा नाॅन आरइएम यानी आप सोते हैं नहीं बल्कि आपकी बाॅडी आराम करती है। आपको आसपास के मूवमेंट के बारे में पता चलता रहता है। नींद की जरूरत इससे न सिर्फ शरीर को आराम मिलता है बल्कि दिमाग को आराम मिलता है। जब आप सपने के साथ सोते हैं तो दूसरे दिन ज्यादा सोच से भरपूर रहते हैं। इससे आपकी सोचने की क्षमता और अच्छी होती है। वहीं अगर सपने की बिना आप सोते हैं तो हो सकता है कि आपको मेमोरी लैक की समस्या हो। खासकरके इसका असर मां पर होता है। उनके लिए बच्चे को संभालना मुश्किल हो जाता है। नवजात का सोना नवजात के सोने का तरीका एकदम अलग होता है। पहले कुछ महीने में वो आरइएम स्लीप करते हैं। करीब तीन महीने बाद 50 से 80 प्रतिशत वो इसी तरह की नींद लेता है। कैसे करें नींद पूरी नयी मांएं कोशिश ये करें कि बच्चे के सा
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गर्भावस्था में इन 7 बदलाव से शर्मिंदा न हों आप

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यूरिन लिकेज इस दौरान ऐसा भी होता है और आपको पता भी नही चलता है। कई बार दोस्तों और रिश्तेदार के बीच ऐसा हो जाता है वो अलग बात है। भले ये बात सिर्फ आपको पता होती है। अक्सर शायद आपने देखा और महसूस किया होगा कि ऐसा हो जाता है। कभी हंसने, खांसने या छीकने के वक्त बस कुछ बूंद ही निकलती है मगर आपको खुद से शर्मिंदगी महसूस होती है। क्या करें - डाॅक्टर कहते हैं कि इस दौरान औरतों पैंटी लाइनर पहनना चाहिए। इसके अलावा हर दो घंटे पर वाॅशरूम जरूर जाएं। फेशियल हेयर प्रेगनेंसी में हाॅर्मोंस बदलते हैं इस वजह से अनचाहे बाल उग आते हैं। इसे देखकर औरतों को दुख होता है और वो डिप्रेस होने लगती हैं। चेहरे के अलावा पेट और स्तन पर भी बाल उग आना आम है। क्या करें-  ऐसी दिक्कत होती है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। ब्यूटी पार्लर जाकर वैक्स करवा सकती हैं। डाॅक्टर का मानना है कि वैक्सिंग इस दौरान सेफ है। बदबू न दे दर्द कई लोगों को वैसे भी पसीने की बदबू की शिकायत होती है। किसी को पोल्ट्री या सी फूड के महक से अर्लजी हो जाती है। इसके अलावा उनको खुद के शरीर से अजीब दुर्गंध आती है। क्या करें- अक्सर गर्भावस्था के आखि

बच्चे ने किया शर्मिंदा

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कई बार पेरेंटस को बच्चों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है। दरअसल हमारी छोटी-छोटी हरकतों पर उनकी नजर होती है। जब उनको मौका मिलता है उसे बच्चे दोहराने से नहीं चूकते हैं। इस लेख में हम बात करेंगे ऐसी ही कुछ बातों का जिनकी वजह से बच्चे के सामने आपको शर्मिंदा होना पड़ सकता है। ध्यान रखने की बात ये है कि बच्चों की ऐसे नादान हरकतों से आपको अफसोस तो होता है मगर बाद आपको हंसी भी आती है। यहां ऐसी बातों का हम जिक्र कर रहे हैं जो हर किसी ने कभी न कभी फेस किया होगा। 1- रीता कहती हैं कि मेरी दूसरी बेटी के वक्त जब मेरा पेट निकल आया तो बच्चे ने कई सवाल पूछे। हमने बताया कि मैं तुम्हारे लिए एक बहन लाने वाली हूं इसलिए मेरा पेट निकल आया है। बेटी के होने के बाद जब मेरा पेट सामान्य हो गया तो एक दिन हम बाहर रेस्टोरेंट में खाना खाने गए। वहां बेटे ने एक मोटी औरत को देखा और उसका पिछला हिस्सा ज्यादा ही भारी था। मेरे बेटे ने कहा कि मम्मा देखो आंटी के बम में बेबी है। उस औरत को शर्मिंदगी हुयी ही साथ में मुझे भी बहुत शरम आयी। 2- बेटे को हमने सिखाया था कि अगर आप किसी को हर्ट करोगे तो आप बहुत मोटे हो जाओगे। इस

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कहां महफूज हैं बच्चे

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बच्चों को स्कूल पेरेंटस इसलिए भेजते हैं कि उनको अच्छी तालिम हासिल हो सके। इसके अलावा उनको सुरक्षित माहौल भी मिल सके। इसके लिए पेरेंटस हर मुमकिन कोशिश करते हैं। इसके लिए अच्छी खासी जेब भी ढीली करते हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या सच में स्कूल इतना महफूज है। हम यहां बात कर रहें हैं बैंग्लोर के वेब्ग्योर इंटरनेशल स्कूल की, जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। रविवार को स्कूल परिसर में अचानक से तेंदुआ घुस आता है। वह पूरे स्कूल और क्लास रूम में भ्रमण करता है। दो लोग घायल होते हैं। करीब दस से 15 घंटे कड़ी मेहनत के बाद तेंदुए को पकड़ा गया ।  यहां ये कहना गलत कतई नहीं होगा  िक अक्सर इस स्कूल के किसी न किसी ब्रांच की खबर मीडिया के हाथ लग ही जाती है। सीसीटीवी में कैद फुटज इस बात की गवाही दे रहा है कि आखिर आपके बच्चे कितना महफूज हैं। ऐसा नहीं है कि इतनी फीस कम है मगर सुरक्षा न के बराबर है। सोचने के बात तो ये है कि अगर तेंदुआ तो ये महज एक दिन की बात नहीं है। सुरक्षा और संरक्षा के नियमों को ताख पर रखकर स्कूल का निर्माण तो करा दिया गया। बच्चों का दाखिला भी कर लिया गया मगर बच्चों को सुरक्

क्यों पतियों को सारी उम्मीद पत्नियों से

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लोग चांद तक जा पहुंचे हैं। फिर हमारे आस-पास बहुत सी ऐसी चीजें और घटनाएं ऐसी होती हैं। जिनसे लगता है कि हम आज भी रुढिवादिता की ज़जीर में जकडे़ हुए हैं। बात जब पत्नी की जिम्मेदारियों को हो तो ये दायरा कुछ ज्यादा है बड़ा नज़र आता है। परिवार नौकरी और बच्चों की जिम्मेदारी सब कुछ औरत पर थोप दी जाती है। फिर वो चाहे या न चाहे सब कुछ उसे ही करना है। घर की काम की उम्मीद वो समय अब नहीं रहा कि औरते घर में बैठकर सिर्फ चूल्हा चैका ही करती हैं। किचन को छोड़कर उनकी भी अपनी दुनिया है। वे भी अब जाॅब करती हैं। हर क्षेत्र में उनका परचम है। है न, ये खुश होने वाली बात? मगर उनको इस बात की आज़ादी नही है कि वो घर आकर आराम करें। ओहदा उनका कोई भी हो , भले ही दुनिया उनको सलाम करती है मगर परिवार में आती है। किचन परिवार और जिम्मेदारियों का विणा उठाना पड़ता है। भले ही घर में नौकर-चाकर लगे हों। बच्चों की चिंता आॅफिस जब आप दोनों जाते हैं तो जाहिर है कि बच्चों की जिम्मेदारी भी आप दोनों की होनी चाहिए। हो भी क्यो न, आप लोगों के टीम वर्क से ही बच्चा दुनिया में आया है। ये बात तो सिर्फ कहने और सोचने और पढ़ने में अ
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जब बात हो बच्चों की सुरक्षा की  बच्चों की सुरक्षा गंभीर मुददा है। इस ओर प्रशासन और सरकार इतना ध्यान भी नहीं दे पा रहे है। इसे एक विडंबना ही कहा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की बेंच 2013 में केंद्र एवं राज्य सरकार को हिदायत भी दी थी बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट बनाएं। सरकारी आंकडों के मुताबिक करीब 2011 से 2014 के बीच तीन लाख पच्चीस हजार बच्चों गायब हुए। वहीं नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि हर आठ मिनट पर एक बच्चा गुमशुदा होता है। जिसमें से अमुमन 44 प्रतिशत बच्चों का पता भी नहीं चलता है। ये दिल दहला देने वाली बात उनके लिए ज्यादा मायने रखती है जो पेरेंटस हैं। हर पल उनको आशंका रहती है कि कब और कहां बच्चे के साथ कोई हादसा न हो जाए। खैर बात करते हैं बच्चों के लापता होने की, अधिकतर बच्चों को इसलिए उठाया जाता है ताकि वसूली की जा सकी या फिर उनसे अवैध धंधे करावाया जा सके। वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो परिवार से परेशान होकर भी भाग जाते हैं। गैरसरकारी संस्था और प्रशासन का कहना है कि लापता बच्चों की खोज करना बहुत ही मुश्किल काम है। ये काम तब और मुश्किल हो जाता है। जब बच्चा बहुत