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Showing posts from June, 2009
शराब के नशे में धुत होती दुनिया बरबाद होती जिन्दगी तबाह होते घर और बिगड़ते भविष्य ये सब शराब ही कर सकती है ,मगर फिर भी लोग इसे अमृत की तरह पीते है, चाहे वो घर पर होने वाला छोटे दे फंक्शन की बात हो या शादी विवाह हर पार्टी में शराब की रोनक बरक़रार रहती है,शराब और उसका नशा आज हमारे युआ और पार्टी की शान है,आज हर महफिल इसके बिना अधूरी है जहाँ ये लोगो की महफिल की रोनक है वहीँ दूसरी तरफ यह उन्हें गुमराह करने की भी अहम् भूमिका निभाती है अब तो आलम ये हो गया है की इसका लुप्त व्यस्कों और युआ के साथ बच्चे भी उठाने लगे है,उनके परिवार भी उनका पूरी सहयोग करते है यही वजह है की बदलते दौर के साथ चीजो के मायने भी बदलने लगे है ,आज शराब की दुकान हर कस्बेऔर मोहल्ले में देखने को मिल जायेगी ,भले सरकार ने इस पर रोक लगाया हो की शराब की दुकान मन्दिर और स्कूल के पास नही होगी मगर ऐसा कुछ नहीं है ,मन्दिर और स्कूल के पास अभी भी शराब की दुकान मिल जायेगी क्युकी जितनी तादाद में लोग इसका विरोध करने वाले है उससे कहीं जादा तादाद में लोग इसका समर्थन करते है ,कहते है ,दिक्कत क्या है चल रही है तो चलने दो कोई मन्दिर म
आखिर क्यों? कही शक्ति का अवतार तो कभी ममता का मूरत कही जाने वाली औरत को क्यों हर कदम पर पुरुषों के बुरी दिर्ष्टसे दो चार पड़ता है,आज के दौर में जहाँ युवतिया हर क्षेत्र में अपना पाँव जमा रही है और ख़ुद को साबित भी क्र चुकी है मगर उनकी इतनी तरक्की के बावजूद उन्हें इन समस्या का सामना करना ही पड़ता है ,घर में कभी बेटी तो कहीं बहेन बनकर मां बाप का गौरव बढाती है तो वहीं ससुराल में पति और बच्चो के खुशी के लिए हर दर्द सहने को तत्पर रहती है ,मगर जब यही औरत अपने वाजूद के लिए कुछ करना चाहती है और घर के चार दिवारी से बाहर निकलती है तो समाज के ठेकेदार पुरूष हर मोड़ पर इनका इस्तमाल करने को खड़े मिलते है कभी ये ऑफिस में बॉस प्रमोशन के वजह से प्रताडित होती है तो कही तन्खवाह बढ़ाने के लिए इनका यौन शोषण का सौदा किया जाता है ,क्या पुरुष होने का यही मतलब होता है की अपने समकक्ष खड़ी औरत के दमन को दागदार कर देना,पुरुषो की महानता और वीरता का यही परिचय रह गया है की सड़क पर चलते समय औरतो को छेड़ दिया जाए या उनके कपड़े खीच लिए जाए ताकि वो गिरे और हम उन्हें देख कर मजे ले ये घटनाये सिर्फ़ लड़कियों के साथ ही नही बल्कि उ