Posts

Showing posts from December, 2009

रुक जाओ भइया

Image
रुक जाओ भइया सही करने दो ह र किसी कोई  अपने मंजिल तक पहुँचने के लिए बेताब रहता है. होगा भी क्यों नहीं आखिर घर हर किसी को प्यारा होता है.और घर वाले कहीं जादा ही प्यारे होते है. इसीलिए तो भीड़ भाड़ की चीरते हुए लोग आपने घर जाने के लिए अपनी बाइक,कार, मतलब जो उनके पास है.उसे हवा में लहराते रहते है.कहीं गलती से इनके रास्ते में रेलवे क्रासिंग पड़ती है.तो भी क्या इन्हें तो जोर से वाइक भागानी आती है निकल लेंगे.फिर चाहे बैरियर गिर ही चूका हो तो क्या.जाना है तो जाना है. ऐसा ही कुछ 30 /12 /09 को निराला नगर की रेलवे क्रोसिंग पर हुआ.हुआ यू की शाम को छ बजे ट्रेन की क्रोसिंग बैरिअर गिरा के गाते बंद कर दिया गया.थोडा टाइम बीता ट्रेन आई और चली गयी.फिर लोगो ने अपनी धन्नो(vichel)को स्टार्ट  किया हवा से बात करने को. मगर बैरिअर में दिक्कत आ गई.वो खुल तो रहा था पर रुक नहीं रहा था.बेचारा गेट मैन उसे सही करने की सारी जुगत लगाये जा रहा था.पर नतीजा न के बराबर पर उसी में जल्दी जाने वाले अपनी सवारी लेके निकल रहे है. कुछ कार वाले कुछ सायकल से मतलब जो जिससे था भाग रहा था.गेट मैन बैरिअर पकड़ के चिल्ला रहा था भैय

ab aaja beta

Image
आजा लौट करके ये दिल कह रहा है    जब तलक चाहा साथ रखा जब चाहा ठुकरा दिया, हर त्याग हर समर्पण को एक पल में ही भुला दिया, कल तक उनकी ऊँगली का सहारा था अब पंख निकल आये अपने, वो नन्हा मुन्हा कहते थे पाले जाने कितने सपने, पर फ़िक्र ही किया जो उनने किया, बस कुछ राते ही जागे है संग संग अपने रोये है, हम हँसते तो तो हँसते थे हम सोये तो सोये थे, गर इतना किया तो क्या किया,?? आज हड्डी जर्जर है उनको भी अपनी जरुरत है, कोई यहाँ गया कोई वहां गया उनके लिए किसको फुर्सत है, दो जून की रोटी मुश्किल है जब ताकत उनकी ख़त्म हुई, हर रोज मिलने को तरसते है जिनकी खातिर सपने देखे, उम्मीद सुबह में होती है शायद वो मिलने आ जाये, कतरा-कतरा पाला जिसको वो हमको भी संग ले जाये, पर साँझ का सूरज आता है बंद हो जाती है पथराई आँखे, उनको आने की सुध ही कहाँ जो चले गए वादा करके, ये दर्द है हमे दुनिया में लाने वालो का जिनको हमने तन्हा छोड़ा,           

just belive on you

Image
every movment teach us alot, how we can forget our difficult time, people go high and high beacause of their own struggle,  i seen to people taking thier last breath on the way truble,i think i was also one of them. i belived to do work and work unless until you not get your aim, i was cross these time when i had nothing to do,in my field that is journalism. i went here and there for work but could,t find my aim, because i had no jack to who can push, but i beared up. people always think there should be some one who can do work for me, whatever i learnt its totaly worng for me, we have to make our way without any help, if we taken anybodys help one time so we will hope for it again and again, so just belive on you and rock the world, Deepa srivastava