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Showing posts from February, 2009
पत्रकारिता में सावधानी शुक्रवार दोपहर ३ आई.एस.बी.एम् कोलकात्ता के तरफ से जेमिनी कोन्तिमेंटेल हजरतगंज में सेमिनार हुआ।जिसमे इस क्षेत्र के छात्रों को पत्रकारिता के लिए सावधानियों के बारे में बताया गया।जिसके प्रस्तुतकर्ता रेडियो सिटी ,डी.जी.एन.थे।छात्रों के लिए प्रतियोगता भी हुई जिसमे काफी बच्चो ने रेडियो सिटी के टी.शर्ट जीते.जिसमे उपस्थित डॉ.पालीवाल जोकि एक मनोचित्सक है और "कैरिअर न्यूज़ " में भी कार्यरत है।उन्होंने "वाद विवाद " प्रतियोगता "पत्रकारिता में युआ होने चाहिए या नही "जिसपर इन्होने अपने वक्तव्य रखे.आज पत्रकारिता को युआ की जरुरत है ये बेहतर सोच सकते है और ये समाज के लिए कुछ कर सकते है। आई.सी.सी के डिरेक्टरने ने भी कुछ ऐसे संबोधित किया। इन्होने कहा की युआ हमारे देश की नींव है ये ही कुछ कर सकते आज के भारत के लिए,जो की इनके हाथो में ही सुरक्षित है.तो इनकी सहभागिता हर क्षेत्र में जरुरी है। इसके बाद आई.एस .बी.एम् के दिरेक्टेर प्रमोद कुमार इन्होने भी कुछ संदेश दिए इन छात्रों को जो कुछ ये था,इस क्षेत्र के बच्चो को शर्माना नही चहिये और आत्मविश्वास की भ...

Forest in the bottle

NOW you will get prong bamboo and a very light bark banana variety. These are result of Tissue culture, by this culture a little part of tree like leave, torpor is becoming in to 100 part of tree.Lot more you can take from this interview. Scientist of Bio-Tech Park, Dr. Pragya Gupta has unveiled some of the facts with his coordinator What is tissue culture?When plant cell or a plant or whole plant is provided a control environment in the presence of control nutrients, than its growing is termed as tissue culture.How it is done?A part of plant is kept in a flask with the presence of solvent or media which is basically Acetone, Agar-agar powder. Then its production is termed as tissue culture. A favorable climate and nutrients are avail in the process. With this technique, disease-free plants are generated. No-side effect is their in the process of tissue culture. Proper preventive measures have been taken by operator before entering in the lab.Can these plants be transplanted direct ...

पत्रकारिता और दुनिया

पत्रकारिता एक मिशन न होके अब ग्लेमर हुआ जा रहा है आज की युवा पीढी के लिए.जिसमे न ही अच्छा भविष्य है बल्कि लोगो की सहायता करने के भी बहुत अवसर है.पत्रकारिता के भाषा की पकड़ उतनी जरुरी हैं जितना जीने के लिए पानी,चाहे वो भाषा इंग्लिश हो या हिन्दी या उर्दू जिसके बिना पत्रकारिता नही हो सकती.ऐसे ही और कई नियम बताये "अंजलि सिंह जयसवाल"ने महाराणा प्रताप के छात्रों को। पत्रकारिता में लोग टी.वी चैनल और अखबार में आज अपने कदम जमाना चाहते है मगर उससे कही जादा अवसर है ख़ुद को साबित करने का "देवेलोप्मेंट कम्युनिकेशन " के क्षेत्र में,जिसमे उनकी समस्या सामने आती है जिन्हें लोग छूना तो दूर देखना भी नही पसंद करते है। वो है गरीब और अनाथ बच्चे जो ज्यादातर सडको पर पड़े रहते है।जिन्हें लोग देखकर एक दो रूपये दे सकते है।उन्हें यहाँ से कैसे निकला जाए ये बहुत कम लोग सोचते है जो सोचते हैं वो इस क्षेत्र में आते है और ऐसी समस्या को उजागर करते है।जोकि "उन्नति संचार"कहलाता है । पत्रकारों के लिए हमेशा एक "शब्द"है वो है "क्यो"। जब तक "क्यो "का पता ये नही लगाये...

ab chotu bhi padhega

Ek bar phir sarkar ne garib baccho ko anivarya roop se shiksha dene ka phesla kiya hai.jisme jariye 6 se 14 saal tk baccho ko mupht aur anivarya shiksha di jayegi.ye kanoon 31 octuber 2008 me parit hua.is prayas me lagbhag 22800000 karod rupye kharch hone ka anuman hai.is vidheyak ka ek hi lakhya hai. jin kandho pr bachpan me school beag ki jagah bojhe hote hai unhe khatam kiya jaye.jinhe chotu ya bhadur naam se pukara jata hai.chotu chai lana bhadur bartan dhul jaldi.in baccho ko pta nahi hota school kya hai bachpan kya hai.aise baccho ke liye niji school me 25% aarashan hoga.in sb yojnao ko bnanana to bda aasan hai pr inka sdupyog hona alag baat hai.yojnaye vidheyak aaye din parit hote hai.yepta nahi chal pata ki kb ye bane aur dab kr rah gaye.phir ye bacche sadak pr bhik mangte rahte hai aur hotel me bartan dhulte rah jate hai.koi aisi sanstha nahi hoti jo in baccho ko in kamo se hta ke shiksha ke marg pr bheja jaye aur inhe Hindustan ka bhavisya banne ka sapna dikhaya jaye.raju (8 ...