want be part ARMY
ऐसा तभी क्यूं होता है कि हमारी पुलिस हमारा प्रशासन तब जागता है जब कुछ अनहोनी हो जाती है। हाल ही में हुए हैदराबाद और कुंभ हादसे के बाद प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। हर जगह चेकिंग और अलर्ट जारी हो रहा है क्या ये सब पहले नहीं हो सकता था। इतनी सक्रियता लगातार नहीं बरती जा सकती। कल मैं ऑफिस के वर्क से कैंट गयी सल बहादुर बिहार जहां की एक मूक बधिर बच्ची ने कोरिया विंटर ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है। गेट पर जाते है इंट्री आई कार्ड सबकुछ सक्योरिटी रीजन से चेक कराना पड़ा। ऐसा करके न मुझे बुरा लगा न मेरे सहयोगी फोटो ग्राफर को। इसके पहले भी करीब दो साल पहले मैं कैंट गयी थी तब भी सुरक्षा इतनी ही मुस्तैद थी तब भी मुझे आई कार्ड, डीएल दिखाना पड़ा मुझे बिल्कुल नहीं बख्शा गया कि मैं लड़की हूं, ये बहुत बात तब भी अच्छी लगी थी आज भी अब भी अच्छी लगती है। हर बार वहां जाकर दिल करता है मैं भी इन्हीं लोगों आर्मी का हिस्सा बन जाऊं, मगर जब मैं मॉल में जाती हूं अकेले कैमरा लेकर यहां तक की मेरे पर्स में भी कभी-कभी चाकू और ब्लेड होता है मगर कभी इतनी संघन जांच नहीं होती। आज तक मैंने ये कभी नहीं सुना की कैंट में हमला हुआ मगर मॉल और स्टेशन,होटल ये सब निशाना बन जाते हैं। क्योंकि इनमें से किसी को न तो कायदे की टे्रनिंग मिलती है न ही प्रशासन इनके लिए सजग रहता है। इसके अलावा हमारी मीडिया भी तभी तमाम बैग और अटैची लेकर सुरक्षा इंतजाम चेक करती है जब कहीं कोई हादसा हो जाता है। बिना हादसे के मीडिया भी सुस्त हो जाता है। अगर सारे विभाग आर्मी की तरह मुस्तैद हो जाएं तो शायद इतने लोग नहीं मरेंगे न ये हादसे हो सकेंगे।
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