कहां बिसर गये हो पथ "पापा" तुम हो वन या उपवन में?

Daughter,s Hero
Mere papa
इक कंपन सी होती है मन, मस्तिष्क और आत्ममन में
कहां बिसर गये हो पथ "पापा" तुम हो वन या उपवन में।।
सरल सहज था ये जीवन
जबतक साथ तुम्हारा था
बेवकूफियों और नादानियों पर
अनगिनत बार िधक्कारा और दुलारा था।
कठिन डगर है लगता डर है तुमसा कोई सलाहकार कहाँ
तुम थे तो बस जीत ही जीत
मेरे हिस्से में हार कहाँ ।

प्रेम और स्नेह अब आपका
िमल पाना नामुमकिन है
जीवन का अग्रिम पथ
लगता तुम बिन धूमिल है।
इस आडंबर की दुनिया में
मैंने भी ढोंग मनाए हैं
खुश होने का नाटक कर
मन में तुम्हारा शोक बसाये हैं ।
इक बार मिलो तो पापा ये सब तुमको बतलाना था
"पूजा"तुमबिन अर्थविहिन हुई
घर की दशा "दिशा"विहिन हुई
जीवन मानो "दिशांत" हुआ
"कीर्ति" कहीं गुम हो गई
जो "दीप" था उसका "अंश" कहीं
दूर देश में जलता है
बस आकर तुम देख तो लो
घर तुम बिन कैसा लगता है।।
By-दीपा पापा की हीरा
#Papa #missingyou

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Best one

अब तो जागो