कहीं छींक तो नहीं रोक रहे आप
हाल ही में आये एक शोध के मुताबिक छींक को रोकना ख़तरनाक़ हो सकता है.
इसमें पता चला की एक व्यक्ति ने सिर्फ इसलिए छींक रोक ली. ताकि दूसरों को संक्रमण न हो। करीब 30 साल तक इस तरह उसने अपनी छींक को रोकने की कोशिश की. सामान्य दिक्क्त पर जब वो डॉक्टर से मिला तो पता चला की उसके गले में सूजन है और छाती में कड़कड़ाहट की आवाज थी. स्कैन में पता चला की छाती की अंदरूनी मांसपेशियों में एयर पोप्पिंग है.और वो हवा विंड पाइप के गले से स्राव कर रही थी.
एक सप्ताह की दवा के बाद उसे राहत मिली।
छींक रोकने से हवा कान के मिडल केविटी में जाती है, जिससे आँखों में भी दिक्क्त आ सकती है। इसके अलावा साइनस, कान अंदुरुनी हिस्से में समस्या के कान के पर्दे पर भी असर पड़ता है।
इसमें पता चला की एक व्यक्ति ने सिर्फ इसलिए छींक रोक ली. ताकि दूसरों को संक्रमण न हो। करीब 30 साल तक इस तरह उसने अपनी छींक को रोकने की कोशिश की. सामान्य दिक्क्त पर जब वो डॉक्टर से मिला तो पता चला की उसके गले में सूजन है और छाती में कड़कड़ाहट की आवाज थी. स्कैन में पता चला की छाती की अंदरूनी मांसपेशियों में एयर पोप्पिंग है.और वो हवा विंड पाइप के गले से स्राव कर रही थी.
एक सप्ताह की दवा के बाद उसे राहत मिली।
छींक रोकने से हवा कान के मिडल केविटी में जाती है, जिससे आँखों में भी दिक्क्त आ सकती है। इसके अलावा साइनस, कान अंदुरुनी हिस्से में समस्या के कान के पर्दे पर भी असर पड़ता है।
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