क्या सच में है हमारे राम की मर्यादा रामेश्वरम
रामायण मैंने बचपन से पढ़ी और सुनी है। आज भी धार्मिक न होने के बावजूद मुझे रामायण के दोहे और चौपाई सुनना अच्छा लगता है। यहां तक की रामायण की आरती श्री"चंद्र कपाल भजमन" मुझे अत्याधिक पसंद है। उसका एक अलग कारण है कि ये आरती पापा गाते थे खैर, पापा के प्यार के बारे में फिर कभी बात होगी। यहां मैं बात कर रही हूं राम, रामायण, और रामेश्वरम के कथा की, तो रामायण में मैंनें जितना महत्व अयोध्या का देखा है और जाना है उतना ही महत्वपूर्ण मैंने रामेश्वरम को भी पाया। हालही में मैं परिवार सहित रामेश्वरम होकर आयी, वहां के शिव मंदिर जहां पर उस शिव लिंग की पूजा होती है, जिसे भगवान राम ने पूजा था। उस मंदिर में न तो मुझे कोई सुरक्षा दिखी और न ही कोई साफ सफाई यहां मैं साफ करना चाहती हूं कि मंदिर का नियम है कि दर्शन तब ही किया जाना चाहिए जब मंदिर परिसर में मौजूद 24 कुंड में स्नान कर लिया जाए। हमने भी किया मगर ये क्या? मंदिर के अंदर कुंड उसके पास कपड़े बदलने की जगह जो महिला और पुरूष दोनों के लिए अलग-अलग बनी है। मगर सबसे दुखद ये था कि वहां पर पेशाब की गंदिगी का भरभार था। ऐसा महसूस हुआ मानों मंदिर में न आकर किसी सुलभ शौचालय आ गए हों। माफ करिएगा मंदिर के बारे ये शब्द अच्छा नही है मगर जो सत्य है उससे अवगत करा रही हूं।
अब बात करते हैं रामेश्वरम भ्रमण की, हमने रामेश्वरम का हर कोना घूमा जैसे राम झरोका, साक्षी हनुमान, राम एंकात विश्राम, विभीषण मंदिर सब जगह का हाल बस काम चलाने वाला था। मंदिर की न हो देखरेख मिली और न ही कोई सुरक्षा। जिससे मन दुखी हो गया। यहां मैं राम झरोखा कि और भीषण मंदिर के साथ साक्षी हनुमान भी फोटो भी डाल रही हूं कृप्या उसे देखें और विचार करें। क्या हमारे धर्म में ऐसा ही होता है ?
राम को हम ईष्ट देव मर्यादापुरुषोत्तम मानते हैं क्या ये हमारे धर्म का अपमान नही है।
आए दिन हम अयोध्या के बाबरी मजिस्द और मंदिर के विवाद को लेकर उलझ जाते हैं। कभी इस बारे में सोचा कि रामेश्वरम में क्या हो रहा है। एक वो मंदिर जिसके लिए मुस्लिम लड़ रहें हैं तो उसे भव्य बनाया जा रहा है एक ओर ये मंदिर है जिसपर सिर्फ हमारा अधिकार है। उसे प्रशासन ने नजरअंदाज कर रखा है। ये तो वही बात हो गयी कि हमे वो चीज तो चमकानी है जिसपर किसी और कि नजर है मगर जो हमारे पास है वो बेकार है।
खैर यहां मेरा सबसे निवेदन है कि इस बात को प्रशासन तक पहुंचाए वरना आने वाल कुछ समय न तो राम झरोखा होगा और न ही साक्षी हनुमान । आपको सबको लाइव वीडियो भी दिखाने की चाह थी मगर नेटवर्क के कारण संभव न हो सका।
पंबन ब्रिज
राम झारोखा
साक्षी हनुमान
विभीषण मन्दिर
अब बात करते हैं रामेश्वरम भ्रमण की, हमने रामेश्वरम का हर कोना घूमा जैसे राम झरोका, साक्षी हनुमान, राम एंकात विश्राम, विभीषण मंदिर सब जगह का हाल बस काम चलाने वाला था। मंदिर की न हो देखरेख मिली और न ही कोई सुरक्षा। जिससे मन दुखी हो गया। यहां मैं राम झरोखा कि और भीषण मंदिर के साथ साक्षी हनुमान भी फोटो भी डाल रही हूं कृप्या उसे देखें और विचार करें। क्या हमारे धर्म में ऐसा ही होता है ?
राम को हम ईष्ट देव मर्यादापुरुषोत्तम मानते हैं क्या ये हमारे धर्म का अपमान नही है।
आए दिन हम अयोध्या के बाबरी मजिस्द और मंदिर के विवाद को लेकर उलझ जाते हैं। कभी इस बारे में सोचा कि रामेश्वरम में क्या हो रहा है। एक वो मंदिर जिसके लिए मुस्लिम लड़ रहें हैं तो उसे भव्य बनाया जा रहा है एक ओर ये मंदिर है जिसपर सिर्फ हमारा अधिकार है। उसे प्रशासन ने नजरअंदाज कर रखा है। ये तो वही बात हो गयी कि हमे वो चीज तो चमकानी है जिसपर किसी और कि नजर है मगर जो हमारे पास है वो बेकार है।
खैर यहां मेरा सबसे निवेदन है कि इस बात को प्रशासन तक पहुंचाए वरना आने वाल कुछ समय न तो राम झरोखा होगा और न ही साक्षी हनुमान । आपको सबको लाइव वीडियो भी दिखाने की चाह थी मगर नेटवर्क के कारण संभव न हो सका।
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