पिता

पिता बच्चे के लिए धरती पर भगवान है, जिस घर में पिता है वो झोपड़ी भी महल के समान है।
पिता है तो रोशन है मां के चेहरा और मुस्कान,पिता से ही तो है, घर और घरवालों की शान।।
पिता है तो पूरी है सारी उम्मीदें और सपने, पिता नहीं है पराएं है सभी सगे अपने।
पिता छोटे बच्चे की अगंुली का सहारा है, बडे़ के लिए तज़ुर्बे का पिटारा है।
पिता सपने की टोली है, पिता के बिना खाली हर झोली है।।
पिता सपनों की हक़ीकत है, पिता है तो नहीं कोई दि़क्कत है।
पिता पालन,पोषण,अनुशासन और प्रशासन है।।

पिता है तो फटी कालीन भी सिंहासन है।
पिता अमूल्य प्यार और रोज का त्यौहार है,पिता है तो हर शाम नई नवेली खुशी का इंतज़ार है।।
पिता सुरक्षा, सरंक्षा और सहारा है, पिता नहीं तो कौन हमारा है?
पिता से हर इच्छाओं की पूर्ति है पिता ही संस्कारों की जीती जागती मूर्ति है।।
पिता से ही जीवन का तोहफ़ा है, पिता है तो बच्चे को डर कैसा है?
पिता है तो सफलता हर वक़्त हाथ है, पिता नहीं तो बच्चा अनाथ है।।
पिता है तो जिंदा अभिमान है, घर दीवारों और ईंटों में भी जान है।
पिता है तो हौसले की उड़ान है पिता से ही जुड़ा हर बच्चे का जहान है।।
पिता की जरूरत हर म़काम में है पिता नहीं तो बच्चे की जि़ंदगी श्मशान में है।
पिता है तो हर रास्ता जाना पहचाना है, पिता है तो नहीं कोई बेगाना है।।

दीपा श्रीवास्तव

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अब तो जागो