अंजानी सी आहट
एक अंजानी सी आहट है कोई पहचानी सी चाहत है।। हर दर पर देती दस्तक है इस दिल में थोड़ी हलचल है, आंखों में बहते सपने हैं, कुछ उनके हैं कुछ अपने हैं।। कुछ झूठे हैं कुछ सच्चे हैं, जैसे भी हैं पर अच्छे हैं, ख्वाबों का मोती सच्चा है, पर थोड़ा सा कच्चा है।। ये राहें अंजानी सी हैं, पर नजरें पहचानी सी हंै, जिनको न देखा न जाना वो होने को अपना है।। भावनाओं के सागर में हम खाते हिचकोले हैं। कुछ वो सीधे-सीधे हैं कुछ हम भोले-भाले हैं। ये कहना है लोगों का हमसे खुशियां की ये दस्तक है अब बाहें पसार खड़े हो जाओ, बहार बुलाने वाली है। दीपा श्रीवास्तव