और वो चला गया
किसी की आने की खुशी उस समय खत्म हो जाती है जब वो हमसे हमेशा के लिए दूर हो जाता है। ऐसा ही कुछ मेरे जोयो के साथ भी हुआ महज तीन महीने और उन्नातीस दिन की जिंदगी जीने के बाद वो हमे हमेशा के लिए हमंे छोड़कर चला गया। हां ये अलग बात है कि उसकी सारी अच्छी यादें हमेशा हमारे जेहन में रहेंगी भले ही वो रहे न रहे। दो नवंबर को वो पैदा हुआ था और मेरे घर में जश्न का माहौल हो गया। जिस दिन पपी की डिलेवरी हुयी उस दिन मेरे पास मेडीकेटेड ग्लब्स भी नहीं थे फिर भी उसकी डिलेवरी मुझे ही करानी पड़ी पपी के तीन बच्चों में सबसे छोटा मेरा जोयो था। जब वो पैदा हुआ तो एकदम अजीब सा था कोई भी इसे छूना नहीं चाहता था मगर जैसे-जैसे वो बड़ा होता गया उसे लोग पसंद करते गए खासकरके उसकी बदमाशी। जब हम सो के उठते वो भौंकता था उसकी आवाज इतनी करकस थी कि मैं उसे भाउं कहती थी। उसके साथ खेलने की आदत मेरी इतनी लग चुकी थी कि जब तक उसे अपने पास सुला नहीं देती थी मुझे भी नींद नहीं आती थी, और तो और सुबह उठने के बाद सबसे पहला काम उसका हैलो करना गुड मॉर्निंग करना ही था जितने दिन भी वो रहा कभी मेरी स्लीपर एक जगह तो नहीं मिली, वो सबसे प्यार करता था और सब उससे हो भी क्यों न वो था ही इतना प्यारा कि किसी को उससे प्यार हो जाता।
पिछले पांच दिन से वो लगातार बीमार था उसे पारगो नाम की बीमारी हो गयी लाख इलाज कराने के बाद भी वो नहीं बच सका। नवरा़ित्र चल रही थी ऐसे में मेरे छोटे भाई ने उसके ठीक होने के लिए निराजल व्रत भी कर डाला मगर कल रात में ठीक होने के बाद फिर से वो बीमार हो गया और फिर कभी नहीं बोला। ईश्वर में आस्था तो थी मुझे मगर वो इतना बुरा करेगा ये नहीं सोचा था जोयो की आखिरी सांस के साथ आज घर से दुर्गा की मूर्ति और कलश भी सड़क पर फेंक दिया और न हवन कराया न पारण ही किया। वजह सिर्फ इतनी की वो हर किसी की जान था और उसकी ही जान ईश्वर ने ले ली। जैसे ही मां और पापा को ये मालूम हुआ पापा खुद को नहीं संभाल सके और वो भी रोने लगे। मानो वो छोटे बच्चे हैं मुझे अपनी और पापा की हालत में कोई फर्क ही नहीं महसूस हुआ हां मैं उन्हें समझा रही थी वो मुझको। अफसोस इस बात का है कि जिस हाथ से उसका जन्म हुआ था मेरे उन्हीं अभागे हाथों में मेरे जोयो ने आखिरी सांस ली। ऑफिस से आते ही वो स्कूटी पर खड़ा हो जाता तभी स्कूटी अंदर करने देता वरना भौंकने लगता था जब भी वो जहां ले जाना चाहता मेरा दुप्पट्टा खींच कर वहां ले जाता और मेरे गोद में सिर रखकर बैठ जाता था। मगर अब ऐसा करने के लिए वो मेरे बीच नहीं है और न ही ईश्वर में आस्था।
दीपा श्रीवास्तव
Comments