काला अतीत



इंसान अपने अतीत से कितना भी पीछा छुडाना चाहे मगर वो कहीं न कहीं से उसके सामने आ ही जाता है, भले ही उसमें उस इंसान की खता हो या न हो। रविवार दिन 18 सितंबर वैन्यू सहारागंज सुबह का समय एक तो विकएंड तो दूसरी तरफ लोगों का वीकऑफ ऐसे में हर कोई छुट्टी का लुत्फ उठा रहे थे। छुट्टी के साथ ही किसी का बर्थ डे , वेडिंग एनवर्सरी और किसी को प्रपोज डे। अधिकतर लोग अपने दोस्त के साथ पीवीआर के पास मौजूद थे। कोई मूवी का पहला शो देखने आया था तो कोई अपने भाई बहन के बैंक का पेपर दिलाने आया था उसमें मैं भी मौजूद थी क्योंकि मेरे बहन का भी पेपर था और सहारागंज मेरे लिए भी कुछ खास है। डोमेस्टिक शॉपिंग से लेकर सबकुछ वहीं से होता है।
मगर ये क्या मूवी के लुत्फ और फन के बजाय कोई चेहरा जो उदास था शायद उसकी उदासी किसी की नफरत से ज्यादा थी, शायद उसके अंदर कुछ टूट गया था। हर कोई अपने पार्टनर के साथ और एक लड़की अकेली यादों में खोयी दिख रही शायद किसी के आने का इंतजार कर रही थी मगर जिसका इंतजार था वो तो नहीं आया दिल दुखाने के लिए एक जोड़ा जरूर और आ गया, जिसने उसको किसी दीन दयाल पार्क में देखा था किसी लड़के के साथ जहां पर पार्क के गार्ड से उनकी कुछ कहा सुनी हो गई थी। वहां कुछ ऐसा हुआ था जिससे अकेली बैठी लड़की को दिक्कत थी।  ऐसे में वही हुआ जिसका अंदेशा था अपने पार्टनर के साथ आई लड़की ने उससे ये पूछ ही लिया आपको दीन दयाल में देखा था वहां आपके साथ कोई था। उसका इतना पूछना था कि वो लड़की ने वो जगह छोड़ दी मगर सच्चाई ने उसका पीछा नहीं छोड़ा था। फिर पार्टनर ने तो हंसना शुरू कर दिया मगर उसके आंखों में आंसू आ गए। आंखों में पर काला चश्मा लगाकर उसने आंसू छुपा लिए। दोनों पार्टनर तो मूवी देखने आए थे अकेली लड़की अपनी यादों को समेट रही थी। ऐसी यादंे जिनको जेहन में रखना भी मुश्किल है और भूलना उससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल। वो फूडकोर्ट के फोर्थ फ्लोर चली गई शायद यहां से उसकी कुछ खास यादें जुड़ी तभी तो वो अकेली घंटों बैठी रही और अपने किसी दोस्त से फोन पर पुरानी यादों को ताजा कर रही थी। किसी को बता रही थी पहली बार उसके साथ यहां मैक्डी का बर्गर खाया था और उसने मेरा जूठा बर्गर ले लिया था। यहीं हम दोनों थे मगर आज ये कुर्सियां खाली हैं। पहली बार उसके साथ मूवी देखी थी और न जाने क्या!!!!!!!! जो मैं नहीं सुन नहीं सकी। कोई उसे समझा रहा था जस्ट लीव हिम, ही वाज नॉट एबल टू यू। लेकिन ये दर्द प्यार का था जो मुझे थोड़ी में समझ में आया। वो बार-बार कह रही थी आखिर मेरे साथ ऐसा क्यूं वो तो गया लेकिन लोगों से मैं कैसे निपटूं। इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था सिर्फ वक्त के पास है। जिसके लिए वो इतनी बेचैन थी उसे उसकी परवाह नहीं थी वो बंदा उस लड़की को भूलकर जिंदगी की नदी में फिर से छलांग लगा चुका है। शायद यही उसकी फितरत हो जो वो पहचान नहीं सकी थी। कहते हैं प्यार अंधा होता हैै जिसने उसे भी कर दिया था। वरना चंद हजार रूपए के लिए अपने बाप को मरता हुआ छोड़ और तब लौट कर आए जब उसकी  हो चुकी हो वो किसी लड़की के साथ क्या भला करेगा। इसलिए हमेशा ध्यान रखना चाहिए अतीत हर किसी का हो मगर ऐसा जो चेहरे पर मुस्कान बिखेर दे न की आंखों में आंसू दे जाए।
                 बागों में है फूलों की अंगड़ाई
                 दिल में आज भी है प्यार की गहराई
                 समझने वाला नहीं रहा इस दुनिया में मेरे प्यार को
                 वरना प्यार भरी दुनिया नहीं होती पराई  
दीपा श्रीवास्तव

Comments

pooja said…
accha prayass....thoda vakyon par dhyan do...aur purani yaadon se bahar nikalne kee koshish karo...yaaden agar dard bhari ho to hamesha takleef deti hain....

Best one

अब तो जागो