आसंतुष्ट आदमी
इन्सान को लोग कितना महान मानते है क्युकी वो सारे काम कर सकता है.ऐसा कुछ नहीं है जो इन्सान न कर सके मगर ये इन्सान कभी संतुष्ट नहीं रहता हमेशा कुछ न कुछ मांगता ही रहता है,अभी दो महीने पहले ठण्ड पड़ रही थी सब लोग परेशां धुप नहीं निकल रही है,हाय कितनी ठण्ड है मगर अब जब कड़ाके की धुप निकल रही है तो छाव की चिंता सताने लगी,अब लोग ये कहते नज़र आ रहे है हाय कितनी तेज़ धुप है छाव हो जाती तो अच्छा रहता.शायद इसीलिए ऊपर वाला इन्सान की परीक्षा लेता रहता है,क्युकी हम इन्सान संतुष्ट हो ही नहीं सकते.और न ही चीजो का महत्त्व समझ सकते है,हमे तो सब अपने मन मुताबिक चहिये,अब चाहे वो मोसम हो या और कुछ.
कहते है किसी चीज का अत्य नहीं होना चहिये.
दीपा
इन्सान को लोग कितना महान मानते है क्युकी वो सारे काम कर सकता है.ऐसा कुछ नहीं है जो इन्सान न कर सके मगर ये इन्सान कभी संतुष्ट नहीं रहता हमेशा कुछ न कुछ मांगता ही रहता है,अभी दो महीने पहले ठण्ड पड़ रही थी सब लोग परेशां धुप नहीं निकल रही है,हाय कितनी ठण्ड है मगर अब जब कड़ाके की धुप निकल रही है तो छाव की चिंता सताने लगी,अब लोग ये कहते नज़र आ रहे है हाय कितनी तेज़ धुप है छाव हो जाती तो अच्छा रहता.शायद इसीलिए ऊपर वाला इन्सान की परीक्षा लेता रहता है,क्युकी हम इन्सान संतुष्ट हो ही नहीं सकते.और न ही चीजो का महत्त्व समझ सकते है,हमे तो सब अपने मन मुताबिक चहिये,अब चाहे वो मोसम हो या और कुछ.
कहते है किसी चीज का अत्य नहीं होना चहिये.
दीपा
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