महिला आरक्षण बिल
14  साल से एक ही बिल के पीछे लोग भागते आ रहे है मगर अब राज्य सभा से पास होने के बाद लोक सभा के ठेकेदारों ने इसके लिए बवाल काटना शुरू कर दिया.वैसे तो सारे लोग नारी को जीवन का आधार मानते है.पर जब बात राजनीती की आई तो सबने हाथ खड़े कर लिए ऐसा क्यों.? क्या लोग महिला के विकास से जलते है. या महिला सिर्फ चूल्हे चोके तक ही महिला को सिमित रहना चाहिए?
सारे लोग मानते है महिला के बिना हर पुरुष का जीवन अधुरा है तो समाज में और राजनीती में उनकी सह भागिती को लेकर इतना हल्ला क्यों है? अगर औरत एवरेस्ट की छोटी पर  जा सकती है,मुख्या मंत्री बन सकती है आसमान की सैर कर सकती है तो राजनीती भी संभल सकती है.कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ औरत का बोलबाला न हो.इसिलए राजनीती में भी उसे आरक्षण मिलना चहिये.
दीपा

Comments

Mithilesh dubey said…
राजनीति जो ना करवा दे ।

Best one

अब तो जागो