बचपन  कितनासुहाना
आज फिर उस वक़्त की याद आई
जब होती थी सिर्फ मस्ती और होती थी

अपनों से लडाई, वो दौर था बचपन का
और शैतानी होती थी, हमारी दिन भर की कमाई
जरा सा ख्यालो में खोये तो सब कुछ पास था,
वो बचपन का मंजर और कुछ सपनो का साथ था,
हर बार सुबह रोते हुए स्कूल जाने की आदत,
पर हँसते हुए लौट आने की आदत,
ठंडक में सर्द पानी से नहाने से फुर्सत,
कहीं आने और जाने से फुर्सत
न फ़िक्र थी आगे जाने की, न होश था
कुछ कर दिखाने का,बस जज्बा था सब कुछ
बन जाने का,
आज फिर उस वक़्त की याद आई.
दीपा

Comments

Udan Tashtari said…
बहुत बढ़िया!!

Best one

अब तो जागो