चुनाव "यु को होति है "
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से दस किलो मीटर दूर गाँव की जनता लोकसभा चुनाव को ग्रामसभा चुनाव समझती है।इस जनता को अपने गाँव की सड़क ,बिजली से मतलब है न की देश में चल रही समस्या से।
जहाँ चुनाव महापर्व शुरू होते ही राजनेताओ से लेकर आम इन्सान भी इस पर्व में सम्मलित होता है ।चुनाव आते ही नेता शहर से लेकर गाँवो तक जाना शुरू करते है।अपने प्रचार प्रसार के लिए।फिर शुरू होता है ऐसे वादों और संकल्पों का सिलसिला जो जीतने के बाद बंद भी हो जाता है।ये वादे शहर की जनता के सामने सच भी होते है मगर गाँवो के लोगो के लिए सिर्फ वादा जो कभी नहीं पूरा होता है।ऐसे ही नेताओ के वादे और उस जनता जिसे चुनाव का मतलब ही नहीं पता उनसे बात चीत के कुछ अंश।
आप की नज़र में चुनाव क्या है
"यु को होति है" ये कहना खदरा निवासी शायरा का।जिसे चुनाव का मतलब ही नहीं पता कुछ समझाने के बाद कहती है "अरे यु जब नेता जी आवे है और कहे है हमका वोट दियो।और बतावे है की "वे हमरे गाँव मा बिजली लगवा दिहे"।यही सवाल जब सरस्वती से पूछा तो कहा है।एक ऐसा महिना जब बड़े लोग हमारे गाँव में आते है और ढेले काका कहते है "जाको मतलब हम नहीं समझे ,फिर बताते है "वाही जब झंडा और बिल्ला बटत है"।ऐसे ही जवाब है उन लोगो के जो अनपढ़ है ।
अपना नया नेता कैसा चाहते है?
इसके जवाब में इन लोगो के पास कुछ भी नहीं था कहने और बताने के लिए मगर जो थोडा बहुत जानते है चुनाव के बारे में वो कहते है ऐसा नेता जो गाँव वालो से किये वादों को पूरा कर सके और हमारे विकास में मदद करे
पिछली बार किसे वोट दिया था क्या वो प्रत्याशी जीता ?
अगर जीता तो क्या उसने अपने वादे पूरे किए जो उसने चुनाव के समय किए थे?
हामिद जो महिबुल्लापुर निवासी है कहते है मैंने अनारकली को वोट दिया था।और वो जीती भी थी मगर जीतने के बाद एक बार भी शकल नही दिखाया।और कुछ भी नही किया हमारे मोहल्ले के विकास के लिए।इसी का जवाब देते हुए रमजान कहते है।मैंने भी अनारकली को ही वोट दिया था उसने कुछ भी नही किया हमारे लिए।
आपको क्या लगता है संजय दत्त को चुनाव लड़ना चहिये?
चानन गाँव निवासी रामकली कहती है संजय दत्त को चुनाव लड़ना चहिये। इसी का उत्तर देते हुए रमेश कहते है जो की पेशे से धोबी है कहते है "काहे नही सब वोट मागत है जब तब सजाय दत्त के मागेक चाही येही बहाने हम लोग उनका देख लेबे "इसी जवाब में राजू कहते है जोकि दसवी पास है कहता है नही उनका कम है फ़िल्म बनाना न की चुनाव लड़ना ।
इस बार के चुनाव का मुद्दा क्या है क्या आप कुछ बता सकते है?
इस के जवाब में शिवपुर के लोगो ने चुप्पी साध ली जब उनको विस्तार में बताया गया तो राधे लाल कहते है ये तो वो लोग ही बता पायेगे जो चुनाव लड़ रहे है।हर बार जब चुनाव होता है तब मुद्दे की बात होती है और ख़त्म होते ही सब बंद।ऐसा कहना है राधे लाल मोहन जो आठवी पास है कहता इस बार का चुनावी मुद्दा आतंकवाद है।फूला कहती है" महंगाई कम होई के चाही "
आपके नेता में क्या क्या अच्छाई होनी चहिये?
इसके जवाब में मघई राम कहता है की "अस होई के चाही जो कछु कर सके हमरे खातिर।"ऐसे ही राम बरन कहते है ऐसा जो हमारी मदद कर सके।
ये हालत है गाँव के लोगो की जो नही जानते दुनिया के बारे मे और बड़े आराम से नेता इस प्रकार की जनता को बेवकूफ बनाते है और वोट लेने के बाद पूछते भी नही की अब वो लोग कैसे है ।जिनके बदोलत वे आज इतने उपर है।

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अब तो जागो