हजारो पिंकी की स्माइल अभी बाकी
मुझे आस्कर तभी मिल जाता है जब किसी पिंकी के चेहरे पर मुस्कान आती है ।ये कहना है डॉ सुबोध का जो शुक्रवार दोपहर लखनऊ यू पी प्रेस क्लब के खास मेहमान थे ।डॉ सुबोध के आते ही लोगो का हुजूम इस तरह उनसे मिलने के लिए उमडा मानो कोई सेलेब्रेटी आ गया हो।डॉ सुबोध ने बताया बच्चो का होठ और तालू ७ से १२ सप्ताह के बीच बनता है जब वे माँ के गर्भ में होते है।तालू कटे होने बच्चे माँ का दूध नही पी पाते ऐसे बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते है और अपनी उम्र से १५ साल पहले मर जाते है.होठ कटे बच्चे का आरेशन ३ से ६ माह के बीच और तालू कटे का ९ से १२ माह के बीच हो तो जादा अच्छा होता है।मगर उनका इलाज भी होता है जिनकी उम्र इससे जादा है और जो बूढे हो गए है।
अभी भारत में ऐसे ३५ हज़ार नए और दस हज़ार पुराने मरीजों का इलाज हो पा रहा है।जबकि पूरे भारत के बच्चो को इससे छुटकारा दिलाने में अभी १०० साल लग जाएगे।सुबोध ने ये भी कहा ऐसे बच्चे हीनभावना के शिकार भी हो जाते है।इन्हे कोई स्कूल नही भेजता वहां लोग इन्हे चिढाते है और मारते है। क्योकि जागरूकता की कमी है इनके परिवार में और गरीबी भी।डॉ सुबोध ने लोगो को संबोधित करते हुए कहा ऐसे बच्चो का इलाज के लिए भेजना हम सबका फ़र्ज़ है.डॉ सुबोध की स्वयं सेवी संस्था "स्माइल ट्रेन "इसका मुफ्त में आपरेशन करती है जोकि हर महीने अलग अलग शहर में कैंप लगा कर होता है डॉ सुबोध ने अब तक पॉँच लाख ऐसे बच्चो का इलाज किया है जिनमे से १ळाख़ः ५० हज़ार भारत के निवासी है .
मुझे आस्कर तभी मिल जाता है जब किसी पिंकी के चेहरे पर मुस्कान आती है ।ये कहना है डॉ सुबोध का जो शुक्रवार दोपहर लखनऊ यू पी प्रेस क्लब के खास मेहमान थे ।डॉ सुबोध के आते ही लोगो का हुजूम इस तरह उनसे मिलने के लिए उमडा मानो कोई सेलेब्रेटी आ गया हो।डॉ सुबोध ने बताया बच्चो का होठ और तालू ७ से १२ सप्ताह के बीच बनता है जब वे माँ के गर्भ में होते है।तालू कटे होने बच्चे माँ का दूध नही पी पाते ऐसे बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते है और अपनी उम्र से १५ साल पहले मर जाते है.होठ कटे बच्चे का आरेशन ३ से ६ माह के बीच और तालू कटे का ९ से १२ माह के बीच हो तो जादा अच्छा होता है।मगर उनका इलाज भी होता है जिनकी उम्र इससे जादा है और जो बूढे हो गए है।
अभी भारत में ऐसे ३५ हज़ार नए और दस हज़ार पुराने मरीजों का इलाज हो पा रहा है।जबकि पूरे भारत के बच्चो को इससे छुटकारा दिलाने में अभी १०० साल लग जाएगे।सुबोध ने ये भी कहा ऐसे बच्चे हीनभावना के शिकार भी हो जाते है।इन्हे कोई स्कूल नही भेजता वहां लोग इन्हे चिढाते है और मारते है। क्योकि जागरूकता की कमी है इनके परिवार में और गरीबी भी।डॉ सुबोध ने लोगो को संबोधित करते हुए कहा ऐसे बच्चो का इलाज के लिए भेजना हम सबका फ़र्ज़ है.डॉ सुबोध की स्वयं सेवी संस्था "स्माइल ट्रेन "इसका मुफ्त में आपरेशन करती है जोकि हर महीने अलग अलग शहर में कैंप लगा कर होता है डॉ सुबोध ने अब तक पॉँच लाख ऐसे बच्चो का इलाज किया है जिनमे से १ळाख़ः ५० हज़ार भारत के निवासी है .
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