रुक जाओ भइया
रुक जाओ भइया सही करने दो ह र किसी कोई अपने मंजिल तक पहुँचने के लिए बेताब रहता है. होगा भी क्यों नहीं आखिर घर हर किसी को प्यारा होता है.और घर वाले कहीं जादा ही प्यारे होते है. इसीलिए तो भीड़ भाड़ की चीरते हुए लोग आपने घर जाने के लिए अपनी बाइक,कार, मतलब जो उनके पास है.उसे हवा में लहराते रहते है.कहीं गलती से इनके रास्ते में रेलवे क्रासिंग पड़ती है.तो भी क्या इन्हें तो जोर से वाइक भागानी आती है निकल लेंगे.फिर चाहे बैरियर गिर ही चूका हो तो क्या.जाना है तो जाना है. ऐसा ही कुछ 30 /12 /09 को निराला नगर की रेलवे क्रोसिंग पर हुआ.हुआ यू की शाम को छ बजे ट्रेन की क्रोसिंग बैरिअर गिरा के गाते बंद कर दिया गया.थोडा टाइम बीता ट्रेन आई और चली गयी.फिर लोगो ने अपनी धन्नो(vichel)को स्टार्ट किया हवा से बात करने को. मगर बैरिअर में दिक्कत आ गई.वो खुल तो रहा था पर रुक नहीं रहा था.बेचारा गेट मैन उसे सही करने की सारी जुगत लगाये जा रहा था.पर नतीजा न के बराबर पर उसी में जल्दी...