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Showing posts from November, 2010
  तू ही बता मै क्या क्या छोड़ दूँ ? उसने कहा  ये जहाँ छोड़ दूँ ,फिर कहा हर वजह छोड़ दूँ ,हद तो तब हो गयी जब उसने कहा जिस वजह से वो मिला वो वजह छोड़ दू. हर बार बोला अपने पहचान छोड़ दूँ,जिस पहचान के मंजिल में वो मिला कैसे उस पहचान को मै भला छोड़ दूँ, हर रास्ता तो मेरा उससे ही जुड़ा है अब तुम ही बताओ कैसे मै अ रास्ता छोड़ दूँ. क्या मै मुस्कुराने की वजह छोड़ दूँ, दीपा श्रीवास्तव