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क्या यही पत्रकारिता है? मुझे पता इसे पढ़ कुछ लोगो को बुरा लगेगा...... हम सब ये जानते है की क्या है हमारा फर्ज़.सबसे ज्यादा मजबूत पक्ष पत्रकारिता जिसे अमिताभ बच्चन की फिल्म में साफ़ दिखा दिया गया. रण एक ऐसी फिल्म जिसे हर पत्रकार को देखनी चाहिए. यक़ीनन ये उन्हें उनका फर्ज़ दिला देगी.जो की अब बिजनेस का रूप ले चूका है.अखबार विज्ञापन के लिए परेशां है. टी.वी चेनल टी.आर.पी और इन सब के बीच पिसता है आम आदमी. क्या पत्रकारिता पैसे के लिए की जाती है.? और पैसा किस हद तक इन्सान को गिरा सकता है ये सब है इस फिल्म में. विजय हर्ष वर्धन मालिक(बच्चन) जो की एक जाने माने कर्त्यव्य निष्ठ पत्रकार होते है.इनका चेनल एक मात्र ऐसा चेनल होता है.जो सिर्फ सच्ची खबर ही दिखाता है.जो टी.आर.पी. से ज्यादा देश की सेवा और मीडिया का फर्ज़ निभाने में यकीं रखता है. ये तो हम आप सब जानते है जो सच कहता जो बिकता नहीं उसके साथ बस गिने चुने लोग ही होते है.ऐसा ही कुछ हर्ष वर्धन मालिक है.उनका चेनल घाटे में रहता है.बेटे को ये बात बहुत बुरी लगती...